वास्तु के अनुसार प्लॉट का आकार
वर्गाकार : इस तरह
का प्लॉट घर
में निवास करने
वाले को सुख
और संपन्नता प्रदान करता
है।
आयताकार
: इस तरह का
भू खंड मालिक
को आर्थिक उन्नति
में अत्यन्त सहायक
होता है।
अण्डाकार : इस प्रकार की भूमि क्रय करने से बचना चाहिए। इस भूमि पर निर्मित भवन में रहने पर दु:ख और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
चक्राकार : चक्राकार जमीन का चयन यथा संभव नहीं करना चाहिए। शास्त्रानुसार इस तरह का भूखंड मालिक के धन का नाश करता है।
वृत्ताकार : समृद्धि में निरंतर वृद्धि चाहने के इच्छुक जातकों को ऎसा प्लॉट नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसमें निवास करने से समृद्धि कम होती है।
त्रिकोणाकार : इस आकार प्रकार का भू खंड निवास करने वाले मालिक को राजकीय समस्याएं, अस्थिरता और अगि भय प्रदान करता है।
अर्द्धवृत्ताकार : यह जमीन का टुकड़ा मकान मालिक और इसमें निवास करने वाले जातकों को दु:ख प्रदान करता है।
धनुषाकार : धनुषाकार प्लॉट में निर्मित भवन में निवास करने वाले जातकों में भय पैदा करता है।
समानान्तर चतुर्भुज : इस तरह के भू खंड का चयन नहीं करना चाहिए। अशुभ परिणाम देने वाला तथा दुश्मनी पैदा करने के कारण निवासी सुख से नहीं रह सकता।
गोमुखी : इस तरह का प्लॉट रहने के लिए शुभ होता है किंतु व्यापार के लिए अशुभ होता है।
सिंहमुखी : सिंहमुखी प्लॉट रहने के लिए अशुभ होता है किंतु व्यापार के लिए शुभ होता है।
अण्डाकार : इस प्रकार की भूमि क्रय करने से बचना चाहिए। इस भूमि पर निर्मित भवन में रहने पर दु:ख और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
चक्राकार : चक्राकार जमीन का चयन यथा संभव नहीं करना चाहिए। शास्त्रानुसार इस तरह का भूखंड मालिक के धन का नाश करता है।
वृत्ताकार : समृद्धि में निरंतर वृद्धि चाहने के इच्छुक जातकों को ऎसा प्लॉट नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसमें निवास करने से समृद्धि कम होती है।
त्रिकोणाकार : इस आकार प्रकार का भू खंड निवास करने वाले मालिक को राजकीय समस्याएं, अस्थिरता और अगि भय प्रदान करता है।
अर्द्धवृत्ताकार : यह जमीन का टुकड़ा मकान मालिक और इसमें निवास करने वाले जातकों को दु:ख प्रदान करता है।
धनुषाकार : धनुषाकार प्लॉट में निर्मित भवन में निवास करने वाले जातकों में भय पैदा करता है।
समानान्तर चतुर्भुज : इस तरह के भू खंड का चयन नहीं करना चाहिए। अशुभ परिणाम देने वाला तथा दुश्मनी पैदा करने के कारण निवासी सुख से नहीं रह सकता।
गोमुखी : इस तरह का प्लॉट रहने के लिए शुभ होता है किंतु व्यापार के लिए अशुभ होता है।
सिंहमुखी : सिंहमुखी प्लॉट रहने के लिए अशुभ होता है किंतु व्यापार के लिए शुभ होता है।
भूमि परीक्षण
आद्रता : प्राचीन समय में
भूमि का आद्रता
परीक्षण किया जाता
था। भूमि में
गड्ढा खोदकर
पानी भरा जाता
था और भूमि
में नमी का
पता लगाया जाता
था।
दिशा प्रभाव : भूमि पर चार मुखी दीपक जलाकर यह प्रयोग करके यह जानने की कोशिश की जाती थी कि यह चारों वर्णो में से किसके लिए लाभकारी रहेगी।
जीवन्तता : सभी तरह के बीजों को बोकर जमीन की उपजाऊ सामथ्र्य का अनुमान लगाया जाता था।
विकिरण : सफेद, लाल, पीले और काले रंगों के फूलों का परीक्षण करके फूलों पर रेडियम का प्रभाव देखकर आकलन किया जाता था कि यह जमीन किस वर्ण के लिए शुभ है।
वायु संचरण : धूल उड़ाकर देखा जाता था कि हवा का रूख और उसके प्रभाव क्या रहेंगे।
इन परिणामों के आधार पर चारों वर्णो में से किसके लिए भू खंड उपयुक्त रहेगा, उसके अनुसार भूमि में गर्भविन्यासविधानम् के द्वारा ऊर्जा बतायी जाती थी।
दिशा प्रभाव : भूमि पर चार मुखी दीपक जलाकर यह प्रयोग करके यह जानने की कोशिश की जाती थी कि यह चारों वर्णो में से किसके लिए लाभकारी रहेगी।
जीवन्तता : सभी तरह के बीजों को बोकर जमीन की उपजाऊ सामथ्र्य का अनुमान लगाया जाता था।
विकिरण : सफेद, लाल, पीले और काले रंगों के फूलों का परीक्षण करके फूलों पर रेडियम का प्रभाव देखकर आकलन किया जाता था कि यह जमीन किस वर्ण के लिए शुभ है।
वायु संचरण : धूल उड़ाकर देखा जाता था कि हवा का रूख और उसके प्रभाव क्या रहेंगे।
इन परिणामों के आधार पर चारों वर्णो में से किसके लिए भू खंड उपयुक्त रहेगा, उसके अनुसार भूमि में गर्भविन्यासविधानम् के द्वारा ऊर्जा बतायी जाती थी।
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