नौ ग्रहों के नवरत्न और उनके गुण
1. माणिक (Ruby) : माणिक सूर्य ग्रह का रत्न
है, जब सूर्य ग्रह कमजोर हो या जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी सूर्य हो तो माणिक रत्न
पहनना चाहिये। माणिक पहनने से बल एवं साहस में वृद्धि होती है, भय, दुःख, और व्याधि का नाश होता है नौकरी में ऊँचे पद पर प्रमोशन हो सकता है एवं
समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। माणिक पहनने से सिरदर्द, अस्थिविकार, रक्तविकार, एवं दुर्बलता दूर
होती है। माणिक को सोने की अँगूठी में जड़वाकर रविवार के दिन सूर्योदय के समय सूर्य की होरा के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को
दूध में व् गंगाजल में स्नान करवा कर
सूर्यदेव के मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके अनामिका उँगली में पहनना चाहिए। माणिक को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं
विश्वस्त दुकान से ही खरीदें क्योंकि माणिक की
जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में सूर्य नीच का हो तो माणिक भूल कर भी धारण न करे।
2. मोती (Pearl) : मोती चन्द्र ग्रह का रत्न
है जब चन्द्र ग्रह कुंडली में कमजोर होता है या फिर आपकी कुंडली में लग्न स्वामी चन्द्र हो तब
मोती रत्न को पहना जाता है या पहनना
चाहिए। यह मानसिक तनाव को कम करके शान्ति प्रदान करता है। इसको पहनने से बल, बुद्धि, विधा, एवं स्मरण शक्ति में
वृद्धि होती है। अनिद्रा, दन्त, मूत्र रोग आदि दूर होते है। महिलाओं के लिए सुहाग का प्रतीक होता है। बढे हुए रक्तचाप को कम करने में सहायता करता है। मोती बहुत ज्यादा महँगा रत्न नहीं होता है इसलिए
इसके उपरत्न की जरूरत नहीं होती है। मोती को चांदी की अँगूठी में फिट करवा कर
सोमवार के दिन प्रातः चन्द्र की प्रथम होरा के
समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध में व् गंगाजल में स्नान करवा कर चन्द्र देव के मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके अनामिका उँगली में पहनना
चाहिए। मोती को खूब अच्छी तरह से परख
कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें क्योंकि मोती की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में चन्द्र नीच का हो तो मोती भूल कर भी धारण न करे।
3. मूंगा (Red coral) : मूंगा मंगल ग्रह की का रत्ना है, जब मंगल ग्रह कमजोर हो या जन्म कुंडली में लग्न स्वामी मंगल हो तो मूंगा रत्न धारण
करना चाहिये। मूंगा पहनने से साहस एवं बल में वृद्धि होती है, दुर्घटना का खतरा कम होता है। पारवारिक ग्रह कलेश एवं झगड़े आदि शांत होते हैं, अनेकों कष्ट दूर होते हैं तथा घर में सुख शान्ति आती है। महिलाओं का विवाह जल्दी होता है तथा अनेकों
रोग जैसे पेट दर्द, पथरी, ट्यूमर, बवासीर, बच्चों का सूखा रोग, आदि दूर होते हैं। मूंगा
को सोने की अँगूठी में फिट करवा कर मंगलवार के दिन मंगल की
प्रथम होरा के समय पूजा घर में जाकर
अँगूठी को दूध में व् गंगाजल में स्नान करवा कर मंगलदेव के मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके अनामिका उँगली में
पहनना चाहिए। मूंगा को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें
क्योंकि मूंगा की
जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी
उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में मंगल नीच का हो तो मूंगा भूल कर भी धारण न करे।
4. पन्ना (Emerald) : पन्ना बुध ग्रह का रत्न है, जब बुध ग्रह कमजोर होता है या जन्म कुंडली में लग्न स्वामी बुध हो तो
पन्ना रत्न पहनना चाहिये। पन्ना का उपरत्न बेरुज है। यह कीमत में पन्ना से सस्ता होता है इसलिए
पन्ना की जगह पर बेरुज को पहना जा
सकता है। पन्ना पहनने से घर में सुख शान्ति एवं धन धान्य मिलता है। यह जादू टोना, व् प्रेतबाधा से बचाता है। व्यापार में वृद्धि करता है। महिलाएं पन्ना को अपने पति की सुख शान्ति के
लिए पहनती हैं। पन्ना पहनने से खाँसी, गले का दर्द, टांसिल्स, रक्तचाप ठीक रहता है। पन्ना को सोने की अँगूठी में फिट करवा कर
बुधवार के दिन प्रातः बुध की होरा के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध
में व् गंगाजल में स्नान करवा कर बुधदेव के मंत्र “ॐ बु बुधाय नमः“ का उच्चारण १०८ बार करके अँगूठी को सिद्ध करके तर्जनी उँगली में पहनना चाहिए। पन्ना को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें
क्योंकि पन्ना की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में बुध नीच का हो तो पन्ना भूल कर भी धारण न करे।
5. पुखराज (yellow sapphire) : पुखराज गुरु गृह का रत्न
है, जब गुरु ग्रह कमजोर होता है या जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी गुरु हो
तो पुखराज रत्न पहनना चाहिये। पुखराज का उपरत्न या सस्ता रत्न सुनैला है जिसको पुखराज की जगह पहना जा सकता है। यह व्यक्ति के बल, बुद्धि,
ज्ञान, यश, व् मान तथा धन में वृद्धि करता है एवं पुत्र रूप में संतान देता है। बुरे कर्म करने से रोकता है तथा हमारी सुरक्षा करता है। यह रत्न अजीर्ण ,कब्ज, आमवात, श्वेत प्रदर, कैंसर व् चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है। पुखराज को सोने की अँगूठी में फिट करवा कर गुरूवार के दिन गुरु की होरा
के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध में व्
गंगाजल में स्नान करवा कर वृहस्पति देव के मंत्र “ॐ ब्रीं बृहस्पताय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध
करके उँगली में पहनना चाहिए। पुखराज को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें क्योंकि पुखराज
की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में गुरु नीच का हो तो पुखराज भूल कर भी धारण न करे।
6. हीरा (Diamond) : हीरा शुक्र ग्रह का रत्न
है जब शुक्र ग्रह कमजोर होता है या फिर आपकी कुंडली में
लग्न स्वामी शुक्र होतो तो हीरा पहनना चाहिए। हीरे का उपरत्न जर्किन, दूधिया या तुरसावा होता है
जोकि सस्ता होता है। इस
रत्न को पहनने से स्वास्थ्य
अच्छा रहता है एवं व्यक्ति बलशाली तथा साहसी बनता है। व्यक्ति को धनाड्य बनाता है, जल्दी से शादी करवा देता है। व्यक्ति के वीर्य दोष एवं नपुंसकता को कम या दूर करता है तथा
महिलाओं के गर्भाशय सम्बन्धी रोगों को दूर
करता है एवं व्यक्ति का मान सम्मान बढाता है। हीरे को सफेद सोने में या चांदी की अँगूठी
में फिट करवा कर शुक्रवार के दिन सूर्योदय के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध
में व् गंगाजल में स्नान करवा कर शुक्र देव के
मंत्र “ॐ शु शुक्राय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके मध्य उँगली में पहनना चाहिए। हीरे को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं
विश्वस्त दूकान से ही खरीदें क्योंकि हीरे की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में शुक्र नीच का हो तो हीरा भूल कर भी धारण न करे।
7. नीलम (Blue Sapphire) : नीलम शनि ग्रह कारत्न है, जब शनि ग्रह कमजोर हो या जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी शनि होतो नीलम
रत्न पहनना चाहिए। नीलम रत्न का उपरत्न या सस्ता रत्ना कटैला
होता है जो कि कीमत में सस्ता होता है। यह शनि के बुरे प्रभाव को कम करता है एवं धन धान्य एवं सम्रद्धि प्रदान करता है। संतान सुख की प्राप्ति होती है, मन शांत एवं सद्विचार युक्त होता है। वातरोग, गठिया, हर्निया अदि रोगों में फायदा या आराम मिलता है। नीलम को सोने की अँगूठी में फिट करवा कर शनिवार के दिन सांय दो घंटे ४० मिनट पहले शनि
की होरा के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध
में व् गंगाजल में स्नान करवा कर शनिदेव के मंत्र “ॐ शं
शनिश्चराय नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध
करके मध्य उँगली में पहनना
चाहिए। नीलम को खूब अच्छी तरह से
परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही
खरीदें क्योंकि नीलम की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में शनि नीच का हो तो नीलम भूल कर भी धारण न करे।
8. गोमेद (Hessonite) : गोमेद राहु छाया ग्रह का रत्न है, जब राहु ग्रह कमजोर हो या जन्म कुंडली में लग्न स्वामी राहु ग्रह हो तो
गोमेद रत्न धारण करना चाहिए । गोमेद रत्न धारण करने से शत्रुओं का डर नहीं रहता
है तथा आत्म विश्वास की वृद्धि होती है। मुक़दमे में सफलता मिलती है एवं सुख शान्ति
की वृद्धि होती है। मन को शांति एवं आराम मिलाता है। गोमेद पहनने से पेट के विकार, गैस, कब्ज, रक्तविकार, गर्मी, वीर्य विकार आदि बीमारियाँ नहीं होती हैं। गोमेद को अष्टधातु या चांदी की अँगूठी में फिट करवा कर शनिवार के दिन शनि की
होरा के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध में व्
गंगाजल में स्नान करवा कर राहुदेव के मंत्र “ॐ रां राहवे नमः “ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध
करके अनामिका उँगली में पहनना चाहिए। गोमेद को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं
विश्वस्त दूकान से ही खरीदें क्योंकि
गोमेद की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा।
नोट : यदि जन्म कुंडली में राहु नीच का हो तो गोमेद भूल कर भी धारण न करे।
9. लहसुनिया (Cat’s eye) : लहसुनिया छाया ग्रह केतु का रत्न है, जब केतु ग्रह कमजोर हो या जन्म कुंडली में लग्न स्वामी केतु ग्रह हो तो
लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए। लहसुनिया रत्न धारण करने से गुप्त शत्रुओं
एवं सरकारी सजा से बचाव होता है। लॉटरी, घुड़दौड़, आदि से गुप्त धन की प्राप्ति होती है। व्यापार में वृद्धि होती है एवं अनेकों रोगों से मुक्ति मिलती है जैसे कि चेचक, रक्त
अल्पता, अंडकोष आदि से बचाव होता है। लहसुनिया को अष्टधातु या सोने की अँगूठी में फिट करवा कर बुधवार के दिन बुध की होरा के समय पूजा घर में जाकर
अँगूठी को दूध में व् गंगाजल में स्नान करवा कर केतुदेव के
मंत्र “ॐ ह्रीं केतवे नमः“ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके अनामिका या कनिष्ठिका उँगली में
पहनना चाहिए। लहसुनिया को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें
क्योंकि लहसुनिया रत्न की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा
लाभ देगा।
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