पितृदोष या
पितृऋण के
उपाय (वैदिक ज्योतिष के अनुसार)
1 सर्वप्रथम 125000 की संख्या में पितृ गायत्री मन्त्र का अनुष्ठान करवायें।
2 सोमवती अमावस्या के दिन 2 या 3 नग जनेऊ व् 108 पीस सफ़ेद मिष्ठान (जैसे कि मिश्री के दाने , छैना मुर्गी के पीस , पतासे के साबुत पीस, मक्खाने या मीठी खील का दाने, रसगुल्ले, बर्फी आदि ) के लेकर पीपल ले पेड़ के पास जायें और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करे। परिक्रमा करते समय ओम नमः भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जाप करते रहे। प्रत्येक परिक्रमा के पूर्ण होने पर एक पीस मिष्ठान का पीपल पर छोड़ते जाएं, इस प्रकार 108 पीस छोड़ देने पर 108 परिक्रमा पूरी हो जाएंगी। फिर एक जनेऊ सुलझा कर पीपल पर पीपल देवता के नाम से अर्पित करे, उसके पश्चात् दूसरा जनेऊ सुलझा कर श्री विष्णु भगवान के नाम से पीपल पर अर्पित करे।
अंत में अपने दोनों हाथो को जोड़कर श्री विष्णु भगवान से प्रार्थना करे कि मेरे मातामही के पक्ष से या मेरे पितामही पक्ष से या मुझे जानने वालो में से कोई भी जो आज पितृ योनि में है, उन्हें अपनी योनि के अनुरूप फल मिले और मेरे कार्यो में प्रगति हो। यह प्रार्थना करके आप अपने घर आ जाए।
नोट : महिला जातक की अवस्था में 2 जनेऊ ले और पुरुष जातक की अवस्था में 3 जनेऊ ले।
तीसरे जनेऊ को जातक उपाय शुरू करने से पहले गायत्री मन्त्र से अभिमंत्रित करके धारण कर ले और उपाय पूरा हो जाने के पश्चात् इस तीसरे जनेऊ को चाहें तो धारण करे रहें अन्यथा इसे भी उपाय के अंत में पीपल पर अर्पित कर दे।
3) प्रतिदिन के अपने हिस्से के भोजन में से पहले तीन टूक दान करे।
1 गाये के लिए 2 कुत्ते के लिए 3 कौऐ के लिए।
श्राद्ध पक्ष में किये जाने वाले उपाय
1) श्राद्ध पक्ष में
प्रतिदिन श्रीमद्भागवत का पाठ करे व उसके फल को अपने पितरो को अर्पित
करे। अमावस्या के दिन यह श्रीमद्भागवत ब्राह्मण को दान में दे दें।
2) श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितृ
गायत्री मन्त्र की कम से कम 3 माला अवश्य जाप करें।
पितृ गायत्री मन्त्र: ओम देवताभ्य पितृभ्यक्ष
महायोगिभ्य एव च, नमः स्वाहाय स्वधाय नित्यमेव नमो नमः।
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