यदि लग्न में राहु हो.......
यदि लग्न में राहु हो :- यदि लग्न में राहु हो तो ऐसा जातक झूठ बोलने में पारंगत होता है। जातक अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु किसी का भी बड़े से बड़ा नुक्सान कर सकता है। ऐसा जातक झुठ इसप्रकार से बोलता है कि कोई भी उस पर विशवास कर लेता है। ऐसे जातक पर वो कहावत पूर्ण रूप से लागू होती है (मुँह में राम राम बग़ल में छुरी ) अर्थात जातक मीठा बोलकर पेट में छुरा घोपता है। जिससे सामने वाला यह सोच भी नहीं पाता कि जातक उसके साथ ऐसा कर सकता है। ऐसे जातक का व्यवहार उन लोगो के लिए अच्छा होता है जो इनके कहे पर चलते है। लेकिन समय आने पर ये उन अपने चाहनेवालों को भी नहीं बख़्शता। लग्न के राहू की दृष्टि पंचम भाव , सप्तम भाव और नवम भाव पर पूर्ण रूप से पड़ती है। जिसके कारण जातक की बुद्धि, संतान, शिक्षा , जीवनसाथी, संगेदारी, रोज़मर्रा की इनकम, पार्टनरशिप, दोस्त, धर्म कर्म, भाग्योंन्ति आदि में अड़चने आती है। फलसवरूप जातक अपनी बुद्धि से गलत निर्णय लेता है , जैसे कि जातक मांस ,अण्डा , बीयर , शराब , बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, आदि का सेवन करता है। जहां लग्न के राहु के कारण अपनी संतान को गर्भ में ही समाप्त करता है वहीं सप्तम केतु के कारण एक नर संतान अवश्य पाता है। अच्छी शिक्षा नहीं ले पाता। दिमाग गलत कार्यो में लगता है। धर्म कर्म में मन नहीं लगता है। गलत संगती उसे अच्छी लगती है। अपने दोस्तों व् पत्नी को भ्रम में रखता है। झूठ के आधार पर प्यार की नींव रखता है। परस्त्री गमन करता है। लग्न में राहु का जातक सूर्यग्रहण से प्रभावित होता है। ऐसा जातक ग्रहगोचर स्थिति के अनुसार जब निराश होता है तो भगवान की और भागता है। पंडित, ज्योतिषी आदि के पास जाता है, तब ब्राह्मणो व् ज्योतिषियों के कहे अनुसार कार्य करता है। लेकिन जैसे ही स्थिति पक्ष में आती है तो फिर से दुर्व्यसनों की और चल देता है।
उपाय :- १ नशे का सेवन न करें।
२ सात्विक भोजन खाएं।
३ दिन में पति पत्नी एक न हो।
४ परस्त्री गमन न करे।
५ कम से कम 10 ग्राम का चौरस चांदी का टुकड़ा अपने पास रखें।
६ राहु से सम्बंधित वस्तुओं को जल प्रवाह करे।
(चतुर्थ राहु वाले जातक कभी भी राहु से सम्बंधित वस्तुओं को जल प्रवाह न करे).
७ ससुराल वालो से बना कर रखें।
९ राहु से सम्बंधित वस्तुओ का सेवन न करें , जैसे कि : जौ , नारियल व मूली या इनसे बनी कोई भी वस्तु आदि न खाएं।
१० केसर, हल्दी या पीले चन्दन का तिलक प्रतिदिन इन पांच स्थानों पर अवश्य लगाए, जैसे कि : 1) नाभि 2) जीभा के अग्र भाग पर, फिर हाथ धोने के बाद 3) मस्तक पर , दोनों भौहों के बीच 4) ठुड्डी पर, व् अंत में 5) शिखा पर।
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